Sunday 2 September 2018

श्रीकृष्ण जन्म

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अंक~१

#एक_तीसरा_रिश्ता_भी_होता_है_जिसे_मैं_जल्दी_स्वीकार_नहीं_कर_पाती!!

मेरे प्रियसखा तथा प्यारी सखियों!!कल मेरे प्रियतमजी का प्राकट्योत्सव है,,भाव-विभोर हुयी मैं बावली सी हो रही हूँ,,जिसे कभी देखा नहीं!!उसी की हो गयी हूँ!और प्रातःकाल से ही उन्हें ही अपने अंतःकरण में ढूँढ रही हूँ---

#अजोऽपि_सन्नव्ययात्मा_भूतानामीश्वरोऽपि_सन्।
#प्रकृतिं_स्वामधिष्ठाय_सम्भवाम्यात्ममायया।।
मैं जानती हूँ कि उन्होंने कहा है कि-मैं अजन्मा और अविनाशी स्वरूप होते हुए भी तथा समस्त प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकृति  को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ।।

किन्तु फिर भीइस छोटी सी निबंध श्रृंखला के द्वारा #अवतरण" जैसे प्रगल्भित विषय पर कुछ कहना मूढता ही होगी,फिर भी!!
सखियों!! मैं #प्रकृति" #हूँ,जबतक #मैं हूँ,तब तक तो प्रकृति ही रहूँगी-सर्वप्रथम यहाँपर मैं"योगमाया" पर कुछ प्रकाश डालने का प्रयास करती हूँ--
#निज_माया_निर्मित_तनु_माया_गुण_गोपाल"

"योग"जुड़ने को कहते हैं न!!और जब मेरे प्रियतम!! #अजन्माजन्म"धारण करते हैं,तो इस संदर्भ में  प्रकृति को अधीन करने का तात्पर्य प्रथम स्पष्ट कर दूँ!!मैं आपसे एक रहस्य की बात कहूँ!!
मेरे प्रियतम की "१६१०८" पटरानियाँ थीं!
आपके शरीर में "१६१०८" नाडियाँ होती हैं!
"१+६+१+०+८=१६=  १+६=७
"सतो-रजो-तमो"ये तीन गुण और -पृथ्वी,जल,तेज,वायु ये सात तत्व और आठवाँ!!आकाश यह अष्टधा प्रकृति है। और यही "मैं" हूँ!!

और मैं ही कृष्ण की अष्ट-महारानियाँ हूँ!!किन्तु!!
सखियों--यह-"योग-माया" इनसे पृथक राधा रानी हैं,यही तो #महद्_तत्वातीत_शक्तित्व है।

राधा-रानी मेरे प्रियतमजी की लौकिक अर्धाड़्गिनी नहीं हैं!वे तो #सर्वाड़्गिनि हैं। मैं आपको एक बात और भी कहती हूँ!!जन्म लेने और प्रकट होने में जो अंतर है उसे लौकिक बुद्धि से समझने में समस्या आती है।
आप गीतोक्त भगवद् शब्दों पर ध्यान दें-
#ईश्वर_यही_स्वर-----#शब्द_ब्रम्ह!!

हे प्रिय!!स्त्री-पुरुष के सहयोग से जो उत्पत्ति होती है,जिस पिण्ड का निर्माण होता है,उसकी क्रमशः एक विकाश और विनाश की प्रणाली है,प्रक्रिया है!!

और फिर भी आपको एक रहस्य भरा सत्य बताती हूँ-आपने मेरे प्रियतमजी के अनेक चित्र देखे होंगे!! बाल्याऽवस्था के,किशोराऽवस्था के,युवाऽवस्था के यहाँ तक कि प्रौढाऽवस्था के भी चित्र देखे हो सकते हैं!!
और कभी आपने राम का,कृष्ण का,बुद्ध का, वृद्धाऽवस्था का चित्र देखा है ?
कदापि नहीं,ऐसा चित्र बनाने की कल्पना कोई चित्रकार कर ही नहीं सका आज तक के इतिहास में,ऐसी धृष्टता करने की हिम्मत ही नहीं हो पाती!!

कभी आज तक के इतिहास में किसी ने यह कहा कि "राम,कृष्ण,बुद्ध,महावीर,राधिका,सीता"कोई तो वृद्ध हुवे होंगे ? तो यह देखो!!ऐसे दिखते थे --वे बुढापे में।
लेकिन ऐसा हुवा ही नहीं!कभी वे बूढे हुवे ही नहीं,तो कोइ कल्पना कर भी कैसे सकता है  ?

#वासना_और_संस्कारों" की समष्टि से जिस पिण्ड का निर्माण होता है वह वासना और संस्कारों के कारण वृद्ध भी होगा-और मर भी जायेगा।लेकिन!! जो प्रकट होता है!! एक बात और-

#शत्रु_मित्र_मध्यस्थ_तीन_ये_मन_कीन्हैं_बरियाई।
#त्यागन_गहन_उपेक्षणीय_अहि_हाटक_तृण_की_नांई।।

मैं अपने जीवन में दो चीजें महेसूस की हूँ,दो प्रकार के रिश्ते संसार में देखे हैं,-
(१)- जिनसे हमारे स्वार्थ पूरे नहीं होते,जो हमारी सही-गलत बात को नहीं मानते,जो हमारी क्षत्ति करने की सोचते हैं,निंदा करते हैं हमारी!!उन्हें मैं अपना शत्रु मान लेती हूँ ।
(२)- जो मेरे प्रशंसक होते हैं,मुझसे कुछ लेना चाहते हैं,जिनके स्वार्थ मुझसे जुडे होते हैं,मेरे स्वार्थ जिनसे पूरे होते हैं-उन्हें मैं मित्र मान लेती हूँ।

और एक तीसरा रिश्ता भी होता है,!!जिसे मैं जल्दी स्वीकार नहीं कर पाती,-
"मध्यस्थ"का--न्यायाधीश"का,"नियामक" का
लेकिन वह!! मुझे स्वीकार करता है--
#जन्म_कर्म_च_मे_दिव्यमेवं_यो_वेत्ति_तत्त्वत:।
#त्यक्त्वा_देहं_पुनर्जन्म_नैति_मामेति_सोऽर्जुन ।।

हे अर्जुन ! मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् निर्मल और अलौकिक हैं!! इस प्रकार जो मनुष्य तत्त्व से जान लेता है, वह शरीर को त्यागकर फिर  जन्म को प्राप्त नहीं होता, किन्तु मुझे ही प्राप्त होता है।

और प्रिय!!मैं जानती हूँ कि इस मध्यस्थ, निरपेक्ष सम्बन्ध को अथवा अस्तित्त्व को मैं नकारती अथवा स्वीकारती क्यूँ हूँ!!वैसे एक बात मैं और भी कहूँगी! जैसे कि मैं कोई अपराध करती हूँ!! और पकड़ी जाती हूँ तो मुझपर केस तो चलेगा ही!!और केस के लिये मैं न्यायालयों का चक्कर भी लगाऊंगी!! और फिर वकील,पुलिस वाले मुंशी लोगों के शोषण का शिकार भी मैं अवस्य ही होऊंगी!!

और इन मन्दिरों को ही न्यायालय मैं मान बैठी हूँ!!
और पुजारियों को मैं अपना वकील बना लेती हूँ!!
मैं ने सोच रखा है कि ये स्तोत्रादि का पाठ करना ही संविधान की पुस्तकें हैं!!चलो ठीक है!! ये भी मान लो आप!! तो ये भी तो आपको मानना पड़ेगा न कि मन्दिरों में जाने वाले लोग कहीं न कहीं से #अपराध_बोध_से_ग्रसित_हैं अथवा कि नाना सम्पत्तियों के अधिकारों के लिये संग्राम लड़ रहे हैं!!

शेष अगले अंक में लेकर उपस्थित होती हूँ #सुतपा"

8 comments:

  1. Parnaam ji

    A detailed gyan
    U would not find any where

    Wah MAA JI

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. जय माँ���� ��

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  4. Sastang dandwat pranaam Maa Baba

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  5. jay shri RADHE KRISHNA pulya mataji aapki charnome mera saprem vandan. aapki kripa muz par sada rahe yahi prarthana

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  6. जय मां भगवती

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