Sunday 2 September 2018

श्रीकृष्ण जन्म

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अंक~२

#वे_तो_मुझ_दुराचारिणी_को_भी_अपनी_शरण_में_लेने_को_उत्सुक_हैं!!

#विक्रीडितं_व्रजवधूभिरिदं_च_विष्णो:,
          #श्रध्दान्वितोेनुश्रुणुयादथ_वर्णयेद्_य:।
#भक्तिं_परां_भगवति_प्रतिलभ्यकामं
            #हृद्रोगमाश्वपहिनोत्यचिरेण_धीर:।।

मेरे प्रियसखा तथा प्रिय सखियों!!अब निबंध को आगे बढाती हुयी मैं आगे आपसे चर्चा करती हूँ!!ये जो #मध्यस्थ होता है, #न्यायाधीश होता है!!वह #निश्पक्ष भी होता है।और उसकी सत्ता पर प्रश्न-चिन्ह लगाना मेरे जैसी निरंकुशों को सबसे आसान लगता है!!मैं तो सोचती हूँ कि कर्म तो मैंने किये हैं!! क्या किये और क्या नहीं किये!! उचित अथवा अनुचित किये!!ये तो मैं जानती हूँ बस!!

किन्तु ये मेरा शरीर साक्षात #व्रजभूमि है!!जिसमें मेरे प्रियतमजी रहते हैं!!दिल के झरोखों से मेरी सभी अच्छी-बुरी क्रियाओं और विचारों को अहर्निशा देखते रहते हैं!! यह मैं मूर्खा भूल जाती हूँ!!आप विचार तो करें भला मुझसे छुपकर मैं कोई कर्म या विचार कर पाऊँगी ?

हे प्रिय!! मैं आपसे एक बात कहूँ!!राम और कृष्ण का जन्म किस युग में कब और कहाँ हुवा था!! इसे तो छोड़ो किन्तु ये तो सच है न कि आपका और मेरा जन्म तो हुवा ही है!!और किन्ही परस्पर माँ-बाबा ने ही इस पिण्ड को जन्म दिया है!!और उन्हें मेरे-आपके दादा-दादी ने जन्मा!! ये एक पूरी सृष्टि की परम्परा है!!तो सृष्टिकर्ता आप ही हो!! तो राम-कृष्ण भी आप ही हो!!

बस इसमें थोड़ा सा अंतर है!!मैं रावण और पूतना जैसी हूँ और आप राम और कृष्ण जैसे!!ये अंतर तो है ही न!!अन्यथा मैं निकृष्ट कर्मों और आप श्रेष्ठ कर्म भला क्यूँ करते!! तो मेरे जैसे पापी प्रवृत्तियों की जो होंगी वे भला राम-कृष्ण को क्यों मानेंगी!! किन्तु आप चूंकि राम हो अतः मेरी दुष्ट सत्ता को तो देखोगे ही!!

अर्थात आप ही सर्वस्व हो!!वही दृष्टा भी होता है,साक्षी भी वही होता है,लेकिन मेरे साथ एक समस्या हमेशा होती है,कि मेरे विपक्ष में तो ठीक ही है-अगर पक्ष में भी फैसला होता है!!तो भी मुझे उसमें कुछ न कुछ अधूरा पन लगता ही है, इस कारण आपके निर्णय या आपके अस्तित्व पर ही मैं प्रश्न चिन्ह लगा देती हूँ!!

श्री भगवान कहते हैं कि मेरा जन्म दिव्य है--यह किसी साधारण शिशु का जन्म नहीं है,लौकिक जन्म नहीं है,किसी सचेत मांस-पिण्ड का जन्म नहीं है।
यह "अलौकिक" है!!ये एक ऐसा भेद है आपमें और मुझमें कि जैसे कि कोई धनाढ्य एक घोषणा करता है कि मेरे पास जो भी आयेगा मैं उसे १० ००० ₹ दूँगा!! अब ये तो निश्चित ही है कि यदि वो धनाढ्या मैं हुयी तो आने वाले याचकों में यदि कोई मेरा शत्रु हुवा तो उसे कदापि नहीं दूँगी!!किन्तु आप-

#अपि_चेत्सुदुराचारो_भजते_मामनन्यभाक्।
#साधुरेव_स_मन्तव्यः #सम्यग्व्यवसितो_हि_सः।।
ये मेरे प्रियतमजी ने •गी•९•३०•में कहा है!! वे सबसे प्रथम मुझ जैसी दुराचारियों पर कृपा करते हैं!!हाँ प्रिय!!यही सत्य है कि उनकी दृष्टि अपनी पापाचारिणी संतानों पर सबसे ज्यादा रहती है!! आप जैसे तो उनके समीप हो ही!! किन्तु वे तो मुझ दुराचारिणी को भी अपनी शरण में लेने को उत्सुक हैं!!किन्तु मोहिता तो मैं हूँ!!

#नासूयन्_खलु_कृष्णाय_मोहितास्तस्य_मायया।
#मन्यमाना_स्वपार्श्वस्थान्_स्वान_स्वान्_दारान्_व्रजौकस:

एक अलौकिक बात और-कृष्ण-प्राकट्य- #रोहिणी" नक्षत्र में होता है #वृश राशी में होता है,और योग-माया #राधिका"!!
#पूजन_करूँ_मैं_तेरा_वृषभानु_भानु_नंदिनी!!
यह दोनों ही "वृश"- #वृशभ धर्म के प्रतीक हैं।
और मध्य रात्री में अवतरण होता है,कहते हैं कि-
कृष्ण अवतरण अष्टमी मध्य रात्री १२ बजे हुवा!
श्री राम अवतरण नवमी मध्यान्ह १२ बजे हुवा!!
इतनी समानता!!इतना सामञ्जस्य  ?

तो इसमें भी कुछ विशिष्ट भेद निहित है!!भगवान आगे कहते हैं कि मेरा कर्म भी दिव्य है, अलौकिक है,एक बात याद रखना सखियों!!
श्री राम के जीवन चरित्र का अनुसरण करने से कल्याण होगा!
श्री कृष्ण के वचनों का अनुसरण करने से कल्याण होगा!

#मेरे_राम_मर्यादा_पुरूषोत्तम_हैं_और_कान्हाजी_लीला_पुरूषोत्तम!!
जिनका-अवतरण,कर्म,वचन तीनों ही दिव्य हों, अलौकिक हों!!
और कर्म का दिव्य होना अपने आपमें एक चुनौती है,कृष्ण चरित्र का प्रत्येक आयाम अपने आप में अलौकिक है।

श्री कृष्ण की विश्व समाज के लिए सकारातमक भुमिका,योग का साँसरिक कल्याण के लिए उपयोग, तथा इसी रुप मे महर्षि वेदव्यास संकलित "मानवजाति के कल्याण के लिए महान ग्रंथ भगवद्गीता का स्मरण!!
#ब्रम्हरात्र_उपावृत्ते_वासुदेवानुमोदिता:।
#अनिच्छन्त्यो_ययुर्गोप्य: #स्वगृहान्_भगवत्प्रिया:।।

प्यारी सखि वृंद!!आज "जन्माष्टमी"के पर्व पर मैं अपने नियमित निबंधों के स्थान पर इस निबंध श्रृञ्खला को प्रस्तुत कर रही हूँ!!- #सुतपा

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