Friday, 21 March 2025

Friday, 21 February 2025

विज्ञान भैरव तंत्र

विज्ञान भैरव तंत्र सूत्र~मंत्र-९९ विधि-७५~३ अंक~२१६
प्रिय ! अब इस अद्भुत श्रृंखला में मैं "विज्ञान भैरव तंत्र"के ९९ वें श्लोक की व्याख्या में प्रस्तुत कर रहा हूँ,-भैरवी सिद्धि की ७५ वीं विधा का तृतीय अंक-
#निर्निमित्तम्_भवेज्_ज्ञानं_निराधारम्_भ्रमात्मकम् ।
#तत्त्वतः #कस्यचिन्_नैतद्_एवम्भावी_शिवः #प्रिये ॥
हाँ ! इच्छा किसी भी प्रकार की हो, वो एक अद्वितीय शक्ति है ! और शक्ति अहंकार की भगिनी हैं 
सूत्रानुसार ये काम,क्रोध, लोभ,मोह हों अथवा कि दैहिक-दैविक-भौतिक ताप ! सांसारिक दृष्टि से भोगवाद एवं आध्यात्मिक दृष्टि से योगवाद ये दोनों ही रस्सी के दो छोर हैं ! इनके बीच अनादि काल से चलती रस्साकशी एक ऐसा द्वन्द्वयुद्ध है जिसके प्रतिद्वंदी प्रतिपक्षी अर्थात- " #देवासुर " मनुष्येतर हैं ! ये वही प्राचीनतम कथानक है जहाँ से #कुम्भ पर्व का प्रारम्भ हुवा ! हम उनकी उपासना करेंगे अथवा नहीं करेंगे ?
आत्मीय स्वजनों-यह सनातन सत्य है कि-"असत्य" को सत्य परिभाषित करने से नाना मतान्तरों का ये अभिशप्त अभिप्राय रहा है कि उन्होंने-"शक्ति और ज्ञान" को पृथक-पृथक देखते-देखते इनके दृष्टा अर्थात अपने-आप को ही भुला दिया।
मित्रों ! श्रीमद्भगवद्गीता त्रयोदश अध्याय अर्थात-"क्षेत्र क्षेत्रज्ञद्वी विभाग" योगाध्यायान्तर्गत-"श्रीकृष्ण कालिका" ने इसे ही स्पष्ट करते हुवे कहा है कि भूमि और भूमिज्ञ अर्थात कृषक और भूमि 
वहाँ ये स्पष्ट करते हैं कि-
"इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते ।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः ॥ 
हे कुन्तीपुत्र ! यह शरीर ही क्षेत्र (कर्म-क्षेत्र) कहलाता है और जो इस क्षेत्र को जानने वाला है, वह क्षेत्रज्ञ (आत्मा) कहलाता है, ऎसा तत्व रूप से जानने वाले महापुरुषों द्वारा कहा गया हैं। 
यहाँ यह गुप्त रूप से अस्पष्ट है कि यही-"तत्त्वज्ञान" है।
अर्जुन को उनकी माता का स्मरण दिलाकर ये कहा गया है ! यहाँ यह उल्लेखनीय है कि माँ कुन्ती की सभी सन्तानें-"मानस शक्ति " से उत्पन्न हुयीं ! अर्थात-"इच्छा से उत्पन्न सन्तान ही संसार है !"
"मूंदहुं आँख कतहूँ कछु नांहीं" किन्तु-"कर विचार देखहुं मन माहीं"।
मित्रों ! भगवती सदृश्य सुतपा माँ के साथ मैंने इस श्रृंखला का प्रारम्भ भैरवी सिद्धि की नाना विधाओं हेतु किया था ! हमारे आप सभी  के मार्गदर्शन हेतु किया था ! "निर्निमित्तम् भवेज् ज्ञानं" वो निमित्त 
अर्थात इच्छा ही पुनश्च इस ज्ञान में हेतु बनने को उत्सुक है ! और किस बिन्दु पर इच्छा और ज्ञान का पटाक्षेप हो जायेगा  तदर्थ- "ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव हेतुमद्भिर्विनिश्चितैः"ततत मैं ह्रदय से कहता हूँ कि हमदोनों की -इस जीवन की अंतिम इच्छा केवल-"कैवल्य" की व्याख्या करते करते श्मशान वास करने की है ! और वो इसलिए भी कि पुनश्च उसी कैवल्य की व्याख्या हेतु-"जायते ही ध्रुवो मृत्युः ध्रुवो जन्म मृतश्य च"।
माँ मुझसे सदैव कहती हैं कि-"मैं और तूं अलग अलग नहीं हैं ! हो भी नहीं सकते ! तुझे मेरी शक्ति का आभास नहीं है ! मुझे तेरा ज्ञान नहीं है ! शक्ति का आभास अर्थात ज्ञान होना ही अहंकार में हेतु है-"का बल साधि रहै हनुमाना" इसे निराधार ही रहने दो-"निराधारम् भ्रमात्मकम्" ये निराधार होने का भ्रम ब्रम्हाण्ड के सभी आधारों का आधार है।
मैंने ये समझा है कि शक्तिशाली होने का एकमात्र उपाय है-
"तपबल जपबल और बाहुबल चौथो बल है दाम।
ये सब बलशाली के बल हैं- "हारे को बल राम॥"
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि-
"एक राम दशरथ घर डोला,एक राम घटो घट बोला।
एक राम का सकल पसारा चौथो राम इन सबसे न्यारा॥"
संत शिरोमणि तुलसीदास जी ने उन्हीं को-"हारे को बल राम" कहा है ! अनेकानेक दिवसों के पश्चात पुनश्च इस श्रृंखला के नवीन अंकों को प्रस्तुत करने का सौभाग्य मिला ! आप सभी की पावन स्मृति से मिला ! अभी भी इस विधा का भाव अधूरा है शेष.....सुतपा-आनंद....सचल दूरभाष क्रमांक ६९०१३७५९७१

Saturday, 23 February 2019

भारत

ऐ मेरे वतन के लोगों-जरा आँख में भर लो पानी अंक-३३

मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!!आज पुनश्च मैं आपके समक्ष सम-सामयिक भारतीय राजनैतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में "पाकिस्तानी सेेना तथा उसके द्वारा संरक्षित अलगाववादी तथा आतंकवादी संगठनों" के संदर्भ में कुछ कहना उचित समझती हूँ!!

हे प्रिय!!यह वही "जैश ऐ मोहम्मद "आतंकवाद की फैक्ट्री है जहाँ मदरसे के नाम पर जेहादी हैवानों की फसल उगायी जाती है!!
वैसे इस एक ही "शैतानी-बंकर"में जैश-ए-मोहम्मद, मदरेसातुल असाबर, जामा मस्जिद पाकिस्तान के पारमाणविक हथियारों के जखीरे, रासायनिक हथियार,विशाल और अत्याधुनिक आतंकवाद प्रशिक्षण केन्द्र भी यहीं दुनिया की नजरों में धूल झोंक कर बने हुवे हैं!!

वैसे इसकी स्थापना तो मसूद अज़हर ने मार्च २००० में कंधहार काण्ड से छूटकर पाकिस्तान जाकर वहाँ की सरकार के सहयोग से की थी-"ख़ुद्दाम उल- इस्लाम​" भी इसी में संचालित होता है!! और हे प्रिय!!यह आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आई•एस•आई• की सभी गतिविधियों का केन्द्र यह स्थान और अज़हर अब बन चुका है!!

और वैसे भी पाकिस्तान का यह इतिहास रहा है कि सन् १९४७ में ही आई•एस•आई• की स्थापना कबायली हमवों के असफल हो जाने के बाद कायदे आजम जिन्ना के संकेत से की गयी थी!!और इसको फलने फूलने के लिये सोवियत-संघ को तोड़ने के लिये धीरे-धीरे अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने खाद दी थी!!

वैसे यह भी मैं कहना उचित समझती हूँ कि इस संगठन की स्थापना सन् १९५४ में कश्मीर में अनुच्छेद 35A जोड़ने के तद्कालीन भारतीय संसद के विधेयक का लाभ उठाकर कश्मीर में अलगाववादी संगठनों को संरक्षण देने हेतु की गयी थी!!

किन्तु इस रक्तबीज रूपी भष्मासुर ने अपनी गतिविधियों को कई आयाम दिये- इसने कश्मीर ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान,सीरिया,ईराक,ईरान, पाकिस्तान और स्वयं अमेरिका में भी सुन्नी लोगों को प्रभावित कर लगभग इन सभी देशों में अलगाववादी और आतंकवादी दोनों प्रकार के संगठनों की मजबूत नींव रख दी!!

हे प्रिय!!और एक नवीन भूल भी सन् १९८० के दशक में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी•आई•ए•ने की- लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर हाफिज़ मोहम्मद सईद के द्वारा "लश्कर ऐ तैयबा"की स्थापना में सहयोग किया!!

और इसका उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान से रूसी सेनाओं को हटाना मात्र था- इस संगठन ने अपनी स्थापना  "वहाबी इस्लाम के आदर्श पर की थी!! और वहाबी ये वही नाम है जिसे भारत में भी आप "वहाबी और देवबंद उलूम"के रूप में जानते हैं!!

अब सोवियत संघ के टूटने के बाद जब रूसी सेना   अफगानिस्तान से हट गयी तो इसका उपयोग पुनश्च इराक और ईरान के पेट्रोलियम पदार्थों पर कब्जा करने के लिये "अल-कायदा" से इसे जोड़कर उन क्षेत्रों में प्रभावी किया गया!! किन्तु पाकिस्तान का उद्देश्य तो भारतीय कश्मीर था!!

और अंततः अलकायदा तथा लश्करे तैयबा ने अमेरिकी हथियारों से ही अमेरिका और भारतीय कश्मीर पर हमले करने शुरू कर दिये!!वस्तुतः कश्मीरी पंडितों को वहाँ से निकालने की ये एक पूर्व नियोजित शुरूआत थी!!

"शेष अगले अंक में लेकर उपस्थित होती हूँ!! #सुतपा" मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि इस लेख पर अपने अमूल्य विचार अवस्य रखें!!तथा इसे ज्यादा से ज्यादा अग्रेषित करें!!

आपकी वेबसाइट-
www.sutapadevi.in

आप नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके मेरे समूह #दिव्य_आभास से भी जुड़ सकते हैं-
https://www.facebook.com/groups/1858470327787816/
इसके अतिरिक्त आप टेलीग्राम ऐप पर भी इस समूह से अर्थात दिव्य आभास से जुड़ सकते हैं!! उसकी लिंक भी मैं आपको दे रही हूँ-
https://t.me/joinchat/AAAAAFHB398WCRwIiepQnw

ट्वीटर--- सुतपा
https://twitter.com/o6G7JxYSygew9nm/status/1083926116786528256?s=19
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ऐ मेरे वतन के लोगों-भाग-१
http://www.sutapadevi.in/?p=757
ब्रम्हसूत्र भाग -१
http://www.sutapadevi.in/?p=771
भक्ति सूत्र भाग-३ अंक ८१ से
http://www.sutapadevi.in/?p=888

शिवाष्टकम्-
http://www.sutapadevi.in/?p=939
पर्व सनातन-
http://www.sutapadevi.in/?p=982
नृसिंहावतार एक तथ्यात्मक घटना
http://www.sutapadevi.in/?p=1088

गोपिका विरह गीत
http://www.sutapadevi.in/?p=1144
ऋग्वेदोक्त विष्णुसूक्त
http://www.sutapadevi.in/?p=1150

ऐ मेरे वतन के लोगों-जरा आँख में भर लो पानी भाग-२
http://www.sutapadevi.in/?p=1246

भक्त प्रह्लाद

नृसिंहावतार एक तथ्यात्मक घटना, अंक~८

🙏#हम_आप_और_हमारे_आश्रित_सम्पूर्ण_कुटुम्ब_को_हम_नर्कों_के_द्वारों_पर_ढकेल_रहे_हैं!! 🍃

🍁#प्रळयरवि_कराळाकार_रुक्चक्रवालं_विरळय_दुरुरोची_रोचिताशांतराल।।

🍃#कथाप्रसेड़्गेषु_च_कृष्णमेव,
           #प्रोवाय_यस्मात्_स_हि_तत्स्वभावः।
🍁#इत्थं_शिशुत्वेऽपि_विचित्रकारी,
           #व्यवर्द्धतेशस्मरणामृताशः     ।।

🌺हाँ प्रिय!!नृसिंहपुराण(•४१•३४▪)का यह श्लोक है!!और आज के शिच्छा जगत् में इस श्लोक को यदि मैं अपने शिशुवों के हेतु कसौटी मान लूँ तो आमूल- चूल एक नयी क्रांति समाजमें संभव हो सकती है! समाज में एक नयी क्रांति की जन्म-दात्री हो सकती है!!मैं आपको एक भेदकी बात बात बताती हूँ--

🌹#माँ_और_बचपनकी_स्मृतियाँ_प्रथम_गुरू_होती_हैं हमारी,परम् भागवत् कयाधू और देवर्षि नारदजी के संस्कारोंसे बाल मनतो प्रभावित था ही प्रहेलादका!

🌺किंतु शास्त्रीय संस्कारोंके अंतर्गत भौतिकीय जीवन में नाम का अप्रतिम योगदान होता है!!इस हेतु ऋषियोंनें #नामकरण_संस्कार की व्यवस्था भी की है यजूर्वेद•५•३•७•३१•में कहते हैं कि-
🌺#आयुर्वर्चोऽभिवृध्दिश्च_सिद्धिर्व्यवह्रतेस्तथा।।
आयु और तेजकी वृद्धि सांसारिक व्यवहारों में --
👌🏻 #सम्बोधनात्मक_उद्घोष_से_होती_ही_है!! 🌹

🌹 हे प्रिय!!हमारे ऋषियों नें ध्वनि-विज्ञान -- (Phonetics) तथा मनो-विज्ञान (Psychology)के आधार पर ही नामकरण की व्यवस्था की है,इस संदर्भ में पाराशरीय गृहसूत्र•१▪१७•२४▪में कहते भी हैं कि--
🍃#द्वयक्षरं_चतुरक्षरं_वा_घोषवदाद्यन्तरमन्तःस्थं।
🍁#दीर्घाभिनिष्ठानं_कृतं_कुर्यान्न_तद्धितम्।।
🍁#अयुजाक्षरमाकारांतंस्त्रियै_तद्धितम्।
🍁#शर्मब्राम्हरणस्य_वर्म_क्षत्रियस्य_गुप्तेतिवैश्यशुद्रम्

🍁 बालकके नामके प्रारंभ में #घोष जैसे कि-ग,घ, ज, झ,ड,ढ,द,ध,न,प,ब,भ,म,य,र,ल,व तथा ह इनमें से किसी अक्षरका चयन करें!तथा अंतमें दीर्घ-स्वरोंके साथ कृदन्त रखने का प्राविधान है!!तथा यह प्रकट भी है कि सभी शिशु प्रारंभ में #माँ जैसे घोष वाक्यों से ही बोलना प्रारम्भ भी करते हैं!!  🍃

🍁हे प्रिय!!कन्याओं के नामों में कोमलता,स्नेह, माधूर्य, सौन्दर्य,समर्पणादि गुणयुक्त प्राकृतिक स्त्रैणता युक्त नाम ही रखने चाहिये,परिणामतः जन्मसे ही इन घोष-सम्बोधनों से हममें तद्नुरूप गुणों का प्राकट्य होने से स्त्रीत्व-जनित माधूर्य का स्वबोध होगा ही! #यथा_नाम_तथा_गुणस्य! 🌺

🌹अतः ऐसा शुभ नामकरण राम,कृष्ण,ध्रूव,प्रहेलाद बुद्ध,सीता,सावित्री,राधा आदि रखनेकी परम्परा रही है!!तदोपरांत ऋषियों नें अथर्व वेद•८•२•१८•के श्लोक के अनुसार सात्विकता का संञ्चार करने हेतु-
अन्न-प्राशन संस्कारकी व्यवस्था दी है--
🌹#शिवौ_ते_स्तां_ब्रीहीयवावबीलासावदो_मधौ।
🌺#एतौ_यक्ष्मं_विबाधेते_ऐतौ_मुञ्चतो_अहंसः।।

🙏 जब हमारी संतान ६~७ मासकी हो जाती हैं!! उनकी पाचन-शक्ति परिपक्व होने लगती हैं! तब उन्हें क्रमशः पौष्टिक,सुपाच्य,स्निग्ध तथा सात्विक अन्नों को देने का संस्कार है यह!!मैं आपको एक विचित्र बात बताती हूँ!!मैं बंगाली हूँ,हमारे जातिगत संस्कार ही माँसाहारी हैं!!किंतु मेरे विचार से यह बिल्कुल ही गलत तथा प्रक्षेपित् अशास्त्रीय अमान्य संस्कार हैं!! 🌻और उसका कारण भी है कि हमारे यहाँ भी अन्न- प्राशन संस्कारों में ही क्या किन्ही भी संस्कारों में प्रथम--
#शाक_स्पर्श_तदोपरांत_ही_मांस_स्पर्षका_विधान_है

🌻आज हम अपनी संतानों को पाश्चत्यांऽनुकरणके कारण ये जो Fast food.Junk food देने लगे! जन्म से ही सैक्रीन से बनी टाॅफियाँ खिलाने लगे, अभक्ष्याऽभक्ष्य का विचार किये बिना गौ-मांस मिश्रित Cadbarias खिलाने लगे!!उसका दुष्परिणाम उनकी आँत,आँख तथा दाँतोंके कमजोर होते हम देख ही रहे हैं!!🌻

🌺 हे प्रिय!!मेरा उद्रेश्य आहार की शुद्धता से कहीं ज्यादा उसके उपलब्ध्य-स्रोतों पर भी आपके ध्यानाकर्षण  की है!!अन्यायोपार्जित धनादि विशय भोगोंसे हम आप स्वयम् तथा अपनी संतानों को एक प्रकार से सुवर्ण-निर्मित स्रुवा से हलाहल विषपान ही करा रहे हैं!!हम,आप और हमारे आश्रित सम्पूर्ण कुटुम्बको हम नर्कोंके द्वारों पर ढकेल रहे हैं!! 🌹 

शेष अगले अंकमें प्रस्तुत करती हूँ!! #आपकी_सखी_सुतपा" ......✍

Sunday, 10 February 2019

Friday, 21 December 2018

भक्ति सूत्र १३

भक्तिसूत्र प्रेम-दर्शन देवर्षि नारद विरचित सूत्र-१३

#यह_जो_वासना_है_यह_जो_स्त्री_पुरुषका_भेद_है_बहुत_गहरा_है!!
प्यारी सखियों!!षट् सूत्रों की  ह्यदय स्पर्श कर लेने वाली श्रृञ्खला के अन्तर गत मैं पुनःआप सबकी सेवा में देवर्षि नारद कृत भक्ति-सूत्र के तेरहवें सुत्र पुष्प को समर्पित करती हूँ--

#अन्यथा_पातित्वशड़्कया।।१३।।
अन्यथा वासना और संस्कारों के कारण गिरने की आशंका रहती है।
प्यारी सखियों तथा सखा वृँद!!नारद जी कहते हैं कि--"अन्यथा पातित्व शञ्कया"इसके पुर्व के सूत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि अगर दृढ निश्चय न हो तो पतन की संभावना रहती है!मै  आपको एक बात बताती हूँ कि ऐसी ही शंका होने पर पार्थ ने कहा भी था कि---

#चंचलं_हि_मन:_कृष्ण_प्रमाथि_बलवद्_दृढम्।
#तस्याहं_निग्रहं_मन्ये_वायोरिव_सुदुष्करम् ।।
क्योंकि हे कृष्ण ! यह मन बडा चंचल, प्रमथन स्वभाववाला, बडा दृढ और बलवान् है। इसलिये उसका वश में करना मैं वायु के रोकने की भाँति अत्यंत दुष्कर मानता हूँ।।
मेरे अनेकों अनेक जन्मों के कुत्सित संस्कार,घृणाति घृणित कर्म,मन की बहुत ही गहेराइयों तक बैठी वासना की घिनौनी जडें,और तिस पर भी ज्ञानी होने का अहंकार!!मैं एक बात कहूँ!!यह जो"वासना" है यह जो स्त्री-पुरुष का भेद है,बहुत गहरा है ,इस भेद ने महानतम ऋषि-मुनियों को भी नहीं छोडा।

और इसका कारण बताऊँ आपको!!मैंने यह महेसूस किया है कि आप जितना भी वासना से दूर भागोगे- वह आपको उतनी ही तेजी से जकड़ती जायेगी,--
शुकदेव जी को उनके पिता ने जनक विदेह के पास ज्ञान प्राप्ति हेतु भेजा,  तब जनक जी ने उन्हें अपने अंतःपुर में मे भेज दिया,वे जनक के शयनकक्ष में सो रहे थे रात्रि में जनक जी की पत्नी आकर उनके पास सो गयीं, बिचारे शुकदेव जी!! घबडा गये,वे जितना दूर घिसकने की कोशिष करते रानी उतना ही पास आती जातीं!!

अन्ततः शय्याका आखिरी शिरा आ गया! तब- अचानक शुकदेवजी को बोध हो गया,वे #हे_मेरी_माँ" कहकर महारानी से लिपट गये।मैं आपको कहूँगी तो आप मुझ पर हंसोगी!!क्यों कि मैं निःसन्तान हूँ,शायद मेरी बहुत सी सखियाँ इस बात को जानती भी होंगी, मेरे भौतिक पति मुझे अपनी "माँ" मानते हैं,और मैं उन्हें अपनी संतान मानती हूँ- #भोगेन_भुकताः_वयमेव_भुक्ताः"
हे प्रिय!!आज भी और इसी फेसबुक पर भी मेरे कई ऐसे पुरूष मित्र हैं!जो मुझे अपनी प्रेमिका,माँ,पत्नी, बहन,गुरू,शिष्या,कृष्ण और अपनी राधा मानते हैं!!और वो भी,भौतिकीय धरातल पर----

#कोई_एक_ही_मित्र_मुझे_इन_सभी_सम्बंधों_में_बाँधकर_रखते_हैं!!और मैं भी उन्मूक्त भाव से उन सभी को अपना,पिता,कृष्ण,संतान,शिष्य,पती इत्यादि - इत्यादि मानती हूँ!किंतु हमारा ये प्रेम शारीरिक, भौतिक, ही क्या सूक्ष्म-धरातलों को भी पार कर मानसिक चैतन्यता की दहेलीज पर दस्तक देता है! दूर्लभ और अलौकिक प्रेम है हमारा!!मैं आपको यह कहना चाहती हूँ कि कुछ भटके हुवे लोग "संभोग से समाधी"की बात तो कहते हैं किंतु उसकी आड़ में "स्वच्छन्दता" का आचरण करते हैं,,
कपोल कल्पित विधियों की कुलाचारके नाम पर आड लेकर!! "यौगिक_साहित्य"के नाम पर प्रचारित करने का घृणिततम कुत्सित अति भयावह जो प्रयास कर रहे हैं वह यह नहीं समझ पाते कि उनकी साजिश के कारण समाज की कितनी बौद्धिक क्षत्ति हो रही है।

प्यारी सखियों!भगवान दत्त्तात्रेयजी अवधूत गीता में कहते हैं कि--
#जानामि_नरकं_नारी_ध्रुवं_जानामि_बन्धनम्।
#यस्यां_जातो_रतस्तत्र_पुनस्तत्रैव_धावति।।
मैं  नारीको नरक रूप जानता हूँ,निश्चय ही वह बन्धन का कारण है यह भी जानता हूँ। मनुष्य जिससे उत्पन्न होता है  उसी में फिर रत होता है व बार-बार उसी ओर दौडता है। वासना के प्रवाह को मैं रोक नहीं सकती किंतु उसकी धारा को मोड़ जरूर सकती हूँ। बस एक बार अगर मैं किसी भी पुरुष के प्रति अपने लगाव को ,किसी भी स्त्री के प्रति अपने लगाव को सखी भाव में बदलने में,सफल हो गयी तो फिर तो!!#वासुदेवः_सर्वम्"

सखियों!!याद रखना,,जब वासना की आँधी चलती है तो पाराशर,विश्वामित्र,नारद जैसे "महा-वृक्ष"धराषायी हो जाते हैं,किंतु!!गोपियाँ,मीराबाई जैसी!!अपने को "दासी,सेविका,तृणमूल"समझने वाली कृष्ण दासियाँ भक्ति-मार्ग से नहीं भटकतीं। अप्सराओं ने तो अनेकों ऋषियों का तप भंग कर दिया,पर कोइ ऐसा गंधर्व आज तक नहीं जन्मा जो हम दासियों को अपने स्वामी से पृथक कर सके। इसीलिये मैं बार बार कहती हूँ कि इस झूठे पुरुषत्व के दंभ को छोड कर आओ मैं भी दासी हूँ अपने प्रियतम की!!आप की भी प्रिया हूँ!आप भी मेरे ह्रदयेश्वर हैं!! आप भी उनकी दासी बन जायें।

हाँ सखी यही अमृत-स्वरूपा भक्ति है, भक्ति-सूत्र का!शेष अगले अंक में......