Thursday 20 December 2018

भक्तिसूत्र

भक्तिसूत्र प्रेम-दर्शन देवर्षि नारद विरचित सूत्र-४

#तो_बस_तुम_तो_लुट_जाओगी_उनके_उपर_कूर्बान #हो_जाओगी_तृप्तोर्भवति"

प्रिय सखियों तथा मेरे प्यारे सखा वृन्ध!!मैं पुनः अब आप सबकी सेवामें देवर्षि नारद कृत भक्ति-सूत्र का चतूर्थ  सूत्र प्रस्तुत कर रही हूं।आप सबके ह्यदय में स्थित मेरे प्रियतम श्री कृष्ण जी के चरणों में इसके सूत्र-पुष्प को चढा रही हूं--

#यलब्ध्वा_पुमान्_सिद्धो_भवति_तृप्तो_भवति।।४।।

मेरे प्रियतम की प्यारी सखियों!!"प्रसिद्ध सूफी फकीर "फिरदौसने कहा है कि--
#चाह_मिटी_चिन्ता_गयी_मनुवाँ_बेपरवाह।
#जिनको_कुछ_नहिं_चाहिये_वे_शाहनपति_शाह।।

मैं सबसे पहले आपको 'पुमान्"का अर्थ बताती हूं---पुमान् अर्थात बुद्धिमान!!बुद्धिमान तो वही हो सकता है जो अपने जीवन के ध्येय,लक्ष्य!! को प्राप्त करने के लिये सतत् गंभीर हो ,प्रयासरत हो।

हे प्रिय!!मैं देखती हूँ कि किसी को अप्सरा, किसी को यक्ष,गंधर्व,भैरवी,काली,कर्ण पिशाचिनी आदि आदि सिद्ध करनी है!!ये सब क्या है ? नर्क में जाने का,अपनी अधोगति का मार्ग खोलने की आत्म घातिनी ईच्छायें हैं ये!!मेरे प्यारे!! "भैरवी" कोई स्त्री नहीं हैं,अप्सरा कोई सुँदरी नहीं हैं,काली कोई देवी नहीं हैं!!

ये तो आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में आप देखें तो दिव्यतम् साधनायें हैं!! आत्म-सिद्धि के द्वार खोलती ये विधायें हैं!!यदि आप इन्हें किन्ही मानवीय कल्पना में उतारने का प्रयास करते हैं तो इनकी आध्यात्मिक ऊर्जा विकृत् रूप धारण कर आपका भयंकर अहित ही करेंगी!!

और जीवन का श्रेष्ठतम लक्ष्य तो वही हो सकता है कि जिसे प्राप्त करने के बाद हमारी ये भौतिकीय अंधी दौड़ खत्म हो जाये,- "इटली"के एक धनाढ्य सेठ थे!!युवा!!वे नयी नयी लडकियों से शादी करते फिर दूसरी से करते यही शौक था उनका!!

एक बार एक सुंदर सी लडकी के पीछे सालों घूमने के बाद वो राजी हुयी!!बहुत से मित्रों के साथ चर्च में दोनों गये उसे अंगुठी पहनायी !!इतने में क्या देखा कि एक बहुत सुंदर लडकी पीछे खडी है!! वो अपनी नयी नवेली कूँवारी पत्नी को छोडकर उसकी तरफ भागे!!बाद में किसी ने उनसे पूछा कि इतनी मुश्किल से यह मिली थी!!फिर भी तुरन्त दूसरी के पीछे क्यों भागे ?

तो उन्होंने कहा कि ये तो मिल ही गयी--अब इसमें कोई आकर्षण नहीं बचा।

सांसारिक सम्बंध या पदार्थों का आकर्षण ऐसा ही होता है--यदि मिल गया तो फिर उससे मन भर ही जाता है बहुत ही जल्दी!!लेकिन ऐसी प्राप्ति!!कि जिसके मिल जाने के बाद,और कुछ भी मिलने की ईच्छा ही न हो!और हे प्रिय!!यही है #सिद्धोभवति"
जैसे कि मीठे निर्मल जल का महासागर यदि मिल जाये तो!!कूप तालाब की जरूरत ही समाप्त हो जाती है!!

ऐसे ही यदि एक बार!!मेरे प्रियतम से प्यार हो गया न!!उनके श्री चरणों से भक्ति हो गयी न!!!
तो बस!!!तुम तो लुट जाओगे! उनके उपर कूर्बान हो जाओगे!! #तृप्तोर्भवति"

हजारों हजार जन्मों की प्यार पाने की भूख हमेशा- हमेशा के लिये विश्रान्त हो जायेगी-हे प्रिय!! #तृप्ति अत्यंत ही मनमोहक ,लुभावना किंतु रहस्यात्मक विशेषण है!! मैं आपको कहूँ तो पती-पत्नी आजके युग में ही क्या सतयुग में भी यदि एक दूसरे से संतुष्ट न हों तो वे कभी #तृप्त भी नहीं हो सकते!! मुझे ऐसा लगता है कि तृप्ति भीतर से आती है!बाहर से कभी मैं तृप्त हो ही नहीं सकती!!

संसार के सभी पुरुष अथवा सभी स्त्रीयाँ,समूचे ब्रम्हाण्ड का ऐश्वर्य, इन्द्रपद पाकर भी!इन्द्रों को तो अहिल्या ही अप्सरा लगेंगी,शचि और अहिल्या हों अथवा मेरे जैसी कोई कुरूपा और आपके जैसी कोई अद्वितीय अनिंद्य सुँदरी!! हम सभी स्त्रियोंकी बाह्य शारारिक संरचना तो एक जैसी ही होगी ?

बस जैसे किसी ने सुँदर कोमल, युवा और गोरी चमड़ी से और किसी ने काली,विकृत और वृद्ध हो चुकी चमड़ी से इस नारी-शरीर के अस्थि- पिंञ्जर को ढँक लिया होगा!! हे प्रिय सखा वृंद!! किसी अंधकार से ब्याप्त शय्या पर चाहे अनुपम लावण्य-मयी सुँदरी हों अथवा कोई अतिशय कूरूपा!!उन दोनों में आपको वासना की आँधी जब आती है तो कोई भी भेद आप नहीं कर सकते!!और उसका भी कारण है!!हे प्रिय!

#वासना_की_आँधी_तो_समुद्र_के_ज्वार_भाटे_की_तरह_आती_और_जाती_है!!

ये तो मोह है!शारीरिक संरचना का आकर्षण है, वासना की आग है यह जलाती है और भक्ति तो प्रेमा है,यह तो #तृप्त कर देती है,शीतल कर देती है!! हाँ सखी यही प्रेम-स्वरूपा भक्ति है!!
अपनी सांस्कृतिक विरासतों को अक्षूण्य रखने के प्रयासान्तर्गत आपके लिये मैं एक उपहार आज प्रस्तुत कर रही हूँ!! मेरे प्रिय प्रियतमजी तथा प्यारी भारत माँ के श्री चरणों में यह वेबसाइट प्रस्तुत करती हूँ!!आप सभी से आग्रह है कि इस दिये गये लिंक पर क्लिक कर वेबसाइट को #लाइक करते हुवे अपनी अमूल्य टिप्पणियाँ अवस्य ही देंगे--
www.sutapadevi.in
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