Monday 5 November 2018

नर्कचतूर्दशी

#नर्कचतुर्दशी पर विशेष प्रस्तुति-- द्वितीय अंक

#मैं_सत्य_कह_रही_हूँ_कि_वेश्याओं_से_बड़ा_काम_विजेता_कोई_हो_ही_नहीं_सकता!!

मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!!जहाँ तक मेरी अपनी सोच जाती है तो मैं यह समझती हूँ कि नरकासुर की कैद में पड़ी उन स्त्रीयों में से किसी ने किसी प्रकार अपना संदेश तद्कालीन मेरे प्रियतम जी अर्थात श्रीकृष्ण जी तक पहुँचाने का प्रयत्न किया होगा!! और तब कृष्ण ने एक योजना बनायी होगी!!

मैं समझती हूँ की कोठों और आतंकवादियों की अभेद्य दीवालों को तोड़ना बड़ी-बड़ी सेनाओं के वश में भी नहीं हुवा करता!!आज भी मुँबई कमाठीपुरा,सी•पी•टैंक• के एसे अनेक कोठे हैं!! जिनपर जब पुलिस के छापे पड़ते हैं तो वे वहाँ कैद बच्चियों को छुपे मार्गों से निकालकर ले जाते हैं!!

अतः श्रीकृष्ण जी ने अपनी पत्नी #सत्यभामा के साथ मिलकर कोई ऐसी योजना बनायी होगी कि जिसके द्वारा एक सुँदर स्त्री होने के कारण सत्यभामा तो नरकासुर के अंतः पुर तक पहुंच कर उसका वध कर देती हैं!! और दूसरी तरफ अपने सैन्य बल के साथ कृष्ण ने नरकासुर के किले पर आक्रमण कर उसकी सेना को पराजित कर दिया!!

किन्तु हे प्रिय!! इस ऐतिहासिक कथा में एक अद्वितीय मोड़ तो तब आता है,जब उन १६००० कन्याओं को उसके बंदी-गृह से मेंरे प्रियतम जी ने मुक्त कराया होगा!! मैं उन सभी बलात्कार तथा लव जेहाद की भेंट चढ़ी और कोठों में रहने वाली नारियों को #कन्या ही मानती हूँ, क्योंकि स्वेक्षा से नहीं बल्कि मानसिक अथवा बल के प्रयोग द्वारा ही उनके कौमार्य को भंग करने की कुचेष्टा की गयी!!

और तब वे कन्याएं, जिन्हे समाज घृणा की दृष्टि से देखता है!! वे मेरे प्रियतम जी से पूछती हैं कि #हम_घृणित_कन्याओं_को_कौन_सा_समाज_आश्रय_देगा_कौन_हमें_अपनायेगा ?

हे प्रिय!! मोपला ,भारत के विभाजन,कश्मीरी पंडितों की बच्चियों, बंगलादेश,सोमालिया,की युद्ध त्रासदी पे तो सभी आँसू बहाते हैं!!और ये भी हमारा बुद्धिजीवी समाज कहता है कि इन युद्धों में लाखों-लाख स्त्रीयों के साथ सामूहिक बलात्कार हुवे!!उन्हें #सेक्स_ट्राय की तरह यूज किया गया!!

छोटे-छोटे बच्चों को पहाड़ों के उपर से फेंक दिया गया, वृद्धों को जीवित गाड़ दिया गया,युवाओं को या तो बंदी बनाकर मजदूर बना दिया अथवा की उनकी गर्दन रेत दी गयी!! किन्तु एक अनुत्तरित प्रश्न किसी भी देश के इतिहासकारों ने कभी नही इतिहास में बताया कि जिन बलात्कार की शिकार स्त्रीयों को बाद में बचाया गया अथवा जो बच गयीं!! #उनका_बाद_में_क्या_हुवा ?

हे प्रिय!! मैं अपनी इन्ही कलमुंही आँखों से कश्मीरी पंडितों,सिख औरतों,बंगलादेश की हिन्दू बच्चियों और वेश्यालयों की वेश्याओं को देखी हूँ जिनके शरीर को सिगरेटों से दागा गया, जिनकी जाँघों पर आततायियों ने #पाकिस्तान_पाईंदाबाद लिखा!! जिनके स्तनों को काट डाला गया!! जिनके ओठों को को नोच खसोट कर अमिट निशान छोड़ दिये गये!!

और वे आज भी असम,पश्चिम बंगाल, दिल्ली,अमृतसर,की गलियों में एकाकी और अभिशप्त जीवन जी रही हैं!! पहले तो उन्होंने अपनी पेट की आग बुझाने को अपने शरीर को दस-दस रुपयों में बेचा!! और फिर गंदी बिमारियों से तड़पती हुयी एक दर्दनाक मृत्यु को प्राप्त हो गयीं!!और प्रत्येक कोठे की वेश्या की आखिरी यही नियति होती भी है!!

ये सरकारें,राजनैतिक दल,विश्व न्यायालय,शोषल और प्रिंट मीडिया, सामाजिक और मानवाधिकार संगठन युद्धों के बाद उन्हें भूल जाते हैं!! तो हे प्रिय!! नरकासुर की कैद से मुक्त हुयी वे बेबस कन्याएं कृष्ण से कहती हैं कि हम कहाँ जायें ?
हमारा क्या होगा ?
हमें कौन अपनायेगा ?

और ये समाज जैसा आज है! वैसा ही कल भी था!!और कल भी ऐसा ही रहेगा भी!!! किन्तु कृष्ण जैसे महापुरूष और शाषक तो बिरले ही होते हैं!! तब मेरे प्रियतम जी ने कहा कि तुम्हे पति चाहिये या संरक्षक ?

और इस बहशी दरिन्दों के बीच वही स्त्री सुरक्षित रह सकती है जिसकी माँग में किसी शशक्त के नाम का सिन्दूर हो!!अन्यथा गरीब की पत्नी तो पूरे गाँव की रखैल कही जाती ही हैं!!उन स्त्रीयों ने तो देख लिया और भुगत लिया था कि बहशी हवश के भूखों की वासना क्या होती है!!हाँ!! मैं सत्य कह रही हूँ कि वेश्याओं से बड़ा काम विजेता कोई हो ही नहीं सकता!!

शारीरिक भावनायें तो उनकी मर चुकी होती हैं!!बारम्बार बलात्कारों की शिकार हुयी ये बिचारी तो अपने स्त्रीत्व को पल-पल धिक्कारती हैं!!और तब मेरे प्रियतम जी ने कहा कि चलो आज से तुम सभी मेरी हो!!उन्होंने उन अभिशप्त स्त्रीयों को राज्याश्रय दिया!! अपने संरक्षण में रखा!!

और तभी तो आज के ही दिन नरकासुर के नर्क से मुक्त हुयी उन स्त्रीयों ने आज मुक्ति के दीपक जलाये!!दीपमालिका से मेरे प्रियतम जी के नगर को सजा दिया!!हे प्रिय!! आज के दिन मैं आपका आह्वान करती हूँ कि चलो आप भी ये प्रतिज्ञा करो कि आप भी अपने सहयोग से किसी ऐसी #कृष्णप्रिया का उद्धार करने का प्रयास करोगे!!और इसी के साथ इस द्वि-अंकीय श्रृंखला को पूर्ण करती हूँ-- आपकी #सुतपा!!
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