#नर्कचतुर्दशी पर विशेष प्रस्तुति-- प्रथम अंक
मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!! आज मैं एक मर्मांतक ऐतिहासिक कथा आपको अपने शब्दों में कहना चाहती हूँ!!
मैं जानती हूँ कि मेरी इस कथा में कई ऐसी बातें हो सकती हैं!! जो आपको मेरे द्वारा इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने का प्रयास लगे!!अतः इस हेतु मैं किसी भी शास्त्रीय श्लोकों का आश्रय नहीं लूँगी!!किन्तु फिर भी...
मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि आप जरा किन्ही भी राष्ट्रों की युद्धोपरांत हुयी स्थितियों पर ध्यान दें!!आप भारत के विभाजन,सोमालिया,सीरिया, बंगलादेश,इराक की स्थितियों पर ही थोड़ा सा विचार करें!!
प्रिय!! जब युद्ध होते हैं!! तो सबसे ज्यादा क्षत्ति पराजित राष्ट्र की स्त्रीयों की होती है!! छोटी-बड़ी बच्चियों, महिलाओं की होती है!! विजेता राष्ट्र के अभिमानी शासक पराजित राष्ट्र को लूटते हैं,गाँव के गाँव जला देते हैं!! वृद्ध और असहायों की हत्या कर देते हैं!!युवकों को दास बना लेते हैं!! और हम स्त्रियों को उनके हवस की आग में जलने को किन्ही पशुओं की तरह बंदी बना लेते हैं!!
और जब-जब औरंगजेब, अलाउद्दीन खिलजी,तैमूर-लंग, याह्या खाँ,हिटलर,अकबर,जैसे लोगों ने पराधीनों पर सत्ता का शस्त्र चलाया!! तब-तब ऐसी ही घटनाओं की पुनरावृत्ति हुयी!!मैं इस ऐतिहासिक कथा के कुछेक अनछुवे तथ्यों पर प्रकाश डालना चाहती हूँ!!
मैंने और मेरे पति ने अपने जीवन में कईयों तथाकथित उन बेसहारा वेश्याओं के जीवन में झांक कर देखा है कि एक अभिशप्त स्त्री की वेदना क्या होती है!!मुझे ये कहते कोई भी संकोच नहीं होता कि मैं अपने पति के साथ अनेक वेश्यालयों में गयी हूँ!! और उनके साथ बैठकर!! उन्हें अपनी सखी बनाकर उनके जीवन चक्र तथा उनकी मानसिक और शारीरिक स्थितियों पर चर्चा कर चुकी हूँ!!
और लगभग उन सभी की कथायें एक जैसी हैं!! प्रिय!! आप कल्पना नहीं कर सकते कि जिनके शरीर का उपयोग बहसी दरिन्दों नें किसी टाॅयलेट की तरह किया हो!! जो बिचारी दस बीस,पचास या फिर हजार रुपयों के लिये न जाने अपने जीवन में कितनों के द्वारा नोची-खसोटी गयी हों!! मैं आपको सत्य कहती हूँ कि उनमें शारीरिक वासना बिलकुल समाप्त हो चुकी होती है!!
उनके लिये पुरूषों के द्वारा किये गये स्पर्शों का कोई महत्व नहीं होता!! वो तो एक बेजान गुड़िया की तरह उनको अपने आपको बेच देती हैं!!न जाने किसने और किस तरह उन्हें लाकर इन कोठों पे बिठा दिया,ये प्रश्न तो गौड़ हो चुका है!! मुख्य अभिशाप तो अभी एक और भी है!!
हे प्रिय!!यदा-कदा जब पुलिस छापे डालती है!! समाजवादी संगठनों के सहयोग से उन्हे छुड़ा कर #नारीनिकेतनों अथवा #बाल_सुधार_गृहों में भेज दिया जाता है!! वहाँ भी उनका शोषण होता है!!और वे वापिस वहाँ से फिर कोठों पे पहुँचा दी जाती हैं!!
मेरे विचार से प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा नरकासुर भी एक ऐसा ही बहशी दरिन्दा था!! जिसने अपनी सैन्य क्षमता के द्वारा अनेक राज्यों को लूटा,जला डाला,लोगों की सामूहिक हत्यायें कीं और अपने तथा अपने सैनिकों के मनोरंजन हेतु १६००० छोटी छोटी कन्याओं,स्त्रीयों को अपनी कैद में रखा!! उन्हें अपनी हवश का शिकार बनाया!!
और इसके लिये मैं अपने समाज को भी दोष नहीं दे सकती, क्यों कि सामाजिक ढाँचागत व्यवस्था किसी न किसी शाषक की अपेक्षा तो रखती ही है!! और जब हमारे शाषक भ्रष्ट,सत्तालोलुप, तथा आलसी हो जाते हैं तब-तब नरकासुर जैसे आतंकवादी आतताइयों को किन्ही देशों को अपना दास बनाने का अवसर मिलता है!!
मेरी प्यारी सखियों!! मैं कुछ उन स्त्रीयों की अंतः वेदना आपसे समझने का प्रयत्न करती हूँ जिन्हे किन्ही न किन्ही प्रकारों से नरकासुरों की कैद युग-युगान्तरों से भुगतनी पड़ती आ रही है!! बेड़ियों में जकड़ कर इराक और सीरिया के बाजारों में "आईं एस आई एस आई" के दैत्यों ने कुर्द और अन्य पाँच साल से लेकर चालीस साल तक की स्त्रीयों को एक एक डाॅलर में बेचा था!!
और वहाँ की तो छोड़िये आज भी बिहार,झारखंड, छत्तीसगढ़, मणिपुर,पश्चिम बंगाल, बंगलादेश,नेपाल से अनेक निर्धन परिवारों की छोटी छोटी बच्चियों और बच्चों को उनके अपने ही माता पिता ईंटभट्टों या अन्य नौकरियां का लालच लेकर आये दलालों को सौंप देते हैं!! और वे बच्चियाँ आपके नगरों में लोगों के घरों के बर्तन साफ करती हैं,छोटे मोटे उद्योगों में #बंधुवा_मजदूर बनकर पशुओं की तरह रहते और रहती हैं!!
और हे प्रिय!! इसमें संदेह का एक प्रतिशत भी स्थान नहीं है कि वहाँ उनका शारीरिक शोषण के साथ-साथ उनके साथ यौन हिंसा भी की जाती है!! और सतत की जाती है!!और अंततः या तो वे वहाँ से कोठों पर पहुँचा दी जाती हैं, अथवा यदि वो बिचारी उनके चंगुल से बचकर भाग भी सकीं तो अंततः वे कोठों की दहलीज पर ही पहुँचती है!! हाँ!! उन बिचारियों की यही नियति है!!
मैं इस श्रृंखला का द्वितीय अंक शीघ्र ही लेकर उपस्थित होती हूँ........ #सुतपा!!
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