Friday 2 November 2018

एन आर सी

#कृपया_इसे_ज्यादा_से_ज्यादा_शेयर_करें

मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!! आज मैं आपके समक्ष भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की कुछ ज्वलंत समस्याओं पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूँ!! मैं जानती हूँ कि मेरी अपनी सीमायें हैं,मुझे अपनी आध्यात्मिक स्तरीय सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करना चाहिये किन्तु देश,काल,परिस्थिति तथा संयोग आपको कभी-कभी कुछ कहने को बाध्य कर ही देते हैं!!

मैं आपको एक स्थानीय कड़वी सच्चाई बताना चाहती हूँ ,और ये ऐसी सच्चाई है की जिसके प्रति सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आँखों पर पट्टी बांध रखी है!! आप जानते हैं कि नागालैण्ड,मीजोरम,मणीपुर, मेघालय त्रिपुरा ऊपरी असम तथा कछार वगैरह की आंतरिक स्थिति क्या है  ?

लगभग ये मातृ सत्तात्मक प्रांत थे और इसका भी लाभ उठाकर आज इन्हे इनकी मूल जन जातियों से बिल्कुल दूर कर दिया गया है!!बांग्लादेशी और रोहींग्या मुस्लिमों ने असमिया,बंगाली,धिमासा,मीजो, खासिया,बोडो,मैतेयी,विष्णुप्रिया,त्रिपुरी और नागा लड़कियों को अपने मोह पाश में बाँध कर उनसे निकाह कर लिया!! और उनकी सम्पत्तियों पर अपना अधिकार कर लिया!!

आज #असम_राईफल्स का लगभग असमिया करण किया जा चुका है!!
#ए_पार_बंगला_वा_पार_बांगला से परेशान होकर जिन असमिया लोगों ने घुसपैठियों की पहेचान हेतु #एन_आर_सी की माँग की थी वो अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है!!

जिस प्रकार भारत का विभाजन लंदन की टेबिल पे बैठकर बिना यहाँ कि स्थानीय परिस्थितियों को समझे बिना अंग्रेजों ने १९४७ में कर दिया था बिल्कुल वैसे ही #सुप्रीम_कोर्ट की विद्वान पीठ ने एन आर सी को थोप दिया!!

क्या आप जानते हैं कि पूर्वोत्तर की सरकारों के आंकड़ों के अनुसार यहाँ १ ५० ०००० घुसपैठिये थे!! किन्तु इसमें भी तो एक पेंच था!!
भारत का विभाजन मुस्लिम और गैर मुस्लिम आधार पर किया गया था!!

तो सबसे ज्वलन्त प्रश्न तो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह होना चाहिये था कि जो भी सीख,बौद्ध,जैनी,हिंदूऔर जो गैर-मुस्लिम थे उन्हें स्वेक्षा से भारतीय नागरिक घोषित किया जाये!! तथा जो मुस्लिम बंगाली थे उनसे एन आर सी की पहेचान मांगी जाये!!

और यही माँग शुरू से असम गण परिषद,कांग्रेस अथवा भारतीय जनता पार्टी इत्यादि सभी दलों की थी भी!! किन्तु भाषायी और प्रान्तीय विषमता ने इस आन्दोलन को नष्ट करके रख दिया!!आज की परिस्थिति ये है कि एन आर सी में ९८ % बंगलादेशी घुसपैठियों को यहाँ का मूल नागरिक मान लिया गया!!

और जिन ४० लाख लोगों को उनकी आई डी के संदिग्ध मानकर भारतीय नागरिक नहीं माना गया उनमें ३५ लाख से भी ज्यादा गैर मुस्लिम हैं और उनमें भी २६ लाख अन्य भारतीय प्रान्त और भाषायी है!!
मैं कुछ अनसुलझे बिन्दुओं पर आपका ध्यान दिलाना चाहती हूँ-

जिन्हें बंगला अथवा अन्य स्थानीय भाषायें आती ही नहीं,जो हिंदी,तेलगू,तमिल,उड़िया,मराठी लोग यहाँ पे हैं क्या वे बंगलादेशी घुसपैठिये हैं ?
सुप्रीम कोर्ट ने चाय बागानों के श्रमिकों को तो भूमि पुत्र घोषित कर दिया किन्तु जो १९७१ के पहले अथवा बाद में वअन्य प्रान्तों से यहाँ आकर बसे गैर मुस्लिम हैं क्या वे घुसपैठिये हैं ?

आज परिस्थितियां ऐसी हैं कि गुजरात,महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश ही क्या भारत के लगभग सभी प्रांतों के नगर निगम,ग्राम पंचायतों,कुटुम्ब रजिस्टर,निर्वाचन आयोग के दस बीस साल पहले के सभी रिकार्ड या तो दीमक चाट गये या उनमें आग लग गयी!!

अर्थात अब इन गैर मुस्लिम भारतीयों को अपनी नागरिकता सिद्ध करने का कोई भी प्रमाण पत्र शेष नहीं बचा!! जिन १५ दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट ने प्रामाणिक माना है उनमें तो आग लग चुकी!!

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी हो या अन्याय राजनैतिक दल वो स्थानीय बहुसंख्यक जो कि निःसंदेह घुसपैठिये या उनके समर्थक हैं उनके मतों के लालच में सेक्यूलर का लबादा ओढकर एन आर सी में गैर मुस्लिमों को जबरन घुसपैठिया घोषित करने पर तुली हैं!!

अभी क्या होगा आने वाले कल आप जानते हैं ?
जिस प्रकार असम में उल्फा ने अभी-अभी पाँच गैर मुस्लिमों को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी,बिलकुल उसी तरह यहां के गैर मुस्लिमों को यहां के स्थानीय आबादी का लबादा ओढे मुस्लिम घुसपैठिये जो अपने आपको यहाँ का मूल नागरिक घोषित कर चुके हैं!! वे हमारा सामूहिक नर संहार करेंगे!!

और उनका साथ यही कांग्रेसी असमिया और भारतीय जनता पार्टी के लोग देंगे!! सुप्रीम कोर्ट भी उनकी रक्षा नहीं करेगा और ना ही साथ देगा!!और जो इसके विरुद्ध आवाज उठायेगा उसपर ट्रिब्यूनल कोर्ट में केस चलाकर उन्हें #डेटोनेशन कैम्प में आपकी यही मोदी सरकार भेज देगी!!और कांग्रेस उनका विरोध भी नहीं करेगी!!

मैं समझती हूँ कि सुप्रीम कोर्ट को इन पूर्वोत्तर के गैर मुस्लिम लोगों को स्वेक्षा मृत्यु का अधिकार दे देना चाहिये..... #सुतपा!!
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