Saturday 23 February 2019

भारत

ऐ मेरे वतन के लोगों-जरा आँख में भर लो पानी अंक-३३

मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!!आज पुनश्च मैं आपके समक्ष सम-सामयिक भारतीय राजनैतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में "पाकिस्तानी सेेना तथा उसके द्वारा संरक्षित अलगाववादी तथा आतंकवादी संगठनों" के संदर्भ में कुछ कहना उचित समझती हूँ!!

हे प्रिय!!यह वही "जैश ऐ मोहम्मद "आतंकवाद की फैक्ट्री है जहाँ मदरसे के नाम पर जेहादी हैवानों की फसल उगायी जाती है!!
वैसे इस एक ही "शैतानी-बंकर"में जैश-ए-मोहम्मद, मदरेसातुल असाबर, जामा मस्जिद पाकिस्तान के पारमाणविक हथियारों के जखीरे, रासायनिक हथियार,विशाल और अत्याधुनिक आतंकवाद प्रशिक्षण केन्द्र भी यहीं दुनिया की नजरों में धूल झोंक कर बने हुवे हैं!!

वैसे इसकी स्थापना तो मसूद अज़हर ने मार्च २००० में कंधहार काण्ड से छूटकर पाकिस्तान जाकर वहाँ की सरकार के सहयोग से की थी-"ख़ुद्दाम उल- इस्लाम​" भी इसी में संचालित होता है!! और हे प्रिय!!यह आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आई•एस•आई• की सभी गतिविधियों का केन्द्र यह स्थान और अज़हर अब बन चुका है!!

और वैसे भी पाकिस्तान का यह इतिहास रहा है कि सन् १९४७ में ही आई•एस•आई• की स्थापना कबायली हमवों के असफल हो जाने के बाद कायदे आजम जिन्ना के संकेत से की गयी थी!!और इसको फलने फूलने के लिये सोवियत-संघ को तोड़ने के लिये धीरे-धीरे अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने खाद दी थी!!

वैसे यह भी मैं कहना उचित समझती हूँ कि इस संगठन की स्थापना सन् १९५४ में कश्मीर में अनुच्छेद 35A जोड़ने के तद्कालीन भारतीय संसद के विधेयक का लाभ उठाकर कश्मीर में अलगाववादी संगठनों को संरक्षण देने हेतु की गयी थी!!

किन्तु इस रक्तबीज रूपी भष्मासुर ने अपनी गतिविधियों को कई आयाम दिये- इसने कश्मीर ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान,सीरिया,ईराक,ईरान, पाकिस्तान और स्वयं अमेरिका में भी सुन्नी लोगों को प्रभावित कर लगभग इन सभी देशों में अलगाववादी और आतंकवादी दोनों प्रकार के संगठनों की मजबूत नींव रख दी!!

हे प्रिय!!और एक नवीन भूल भी सन् १९८० के दशक में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी•आई•ए•ने की- लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर हाफिज़ मोहम्मद सईद के द्वारा "लश्कर ऐ तैयबा"की स्थापना में सहयोग किया!!

और इसका उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान से रूसी सेनाओं को हटाना मात्र था- इस संगठन ने अपनी स्थापना  "वहाबी इस्लाम के आदर्श पर की थी!! और वहाबी ये वही नाम है जिसे भारत में भी आप "वहाबी और देवबंद उलूम"के रूप में जानते हैं!!

अब सोवियत संघ के टूटने के बाद जब रूसी सेना   अफगानिस्तान से हट गयी तो इसका उपयोग पुनश्च इराक और ईरान के पेट्रोलियम पदार्थों पर कब्जा करने के लिये "अल-कायदा" से इसे जोड़कर उन क्षेत्रों में प्रभावी किया गया!! किन्तु पाकिस्तान का उद्देश्य तो भारतीय कश्मीर था!!

और अंततः अलकायदा तथा लश्करे तैयबा ने अमेरिकी हथियारों से ही अमेरिका और भारतीय कश्मीर पर हमले करने शुरू कर दिये!!वस्तुतः कश्मीरी पंडितों को वहाँ से निकालने की ये एक पूर्व नियोजित शुरूआत थी!!

"शेष अगले अंक में लेकर उपस्थित होती हूँ!! #सुतपा" मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि इस लेख पर अपने अमूल्य विचार अवस्य रखें!!तथा इसे ज्यादा से ज्यादा अग्रेषित करें!!

आपकी वेबसाइट-
www.sutapadevi.in

आप नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके मेरे समूह #दिव्य_आभास से भी जुड़ सकते हैं-
https://www.facebook.com/groups/1858470327787816/
इसके अतिरिक्त आप टेलीग्राम ऐप पर भी इस समूह से अर्थात दिव्य आभास से जुड़ सकते हैं!! उसकी लिंक भी मैं आपको दे रही हूँ-
https://t.me/joinchat/AAAAAFHB398WCRwIiepQnw

ट्वीटर--- सुतपा
https://twitter.com/o6G7JxYSygew9nm/status/1083926116786528256?s=19
http://www.sutapadevi.in/?p=749
ऐ मेरे वतन के लोगों-भाग-१
http://www.sutapadevi.in/?p=757
ब्रम्हसूत्र भाग -१
http://www.sutapadevi.in/?p=771
भक्ति सूत्र भाग-३ अंक ८१ से
http://www.sutapadevi.in/?p=888

शिवाष्टकम्-
http://www.sutapadevi.in/?p=939
पर्व सनातन-
http://www.sutapadevi.in/?p=982
नृसिंहावतार एक तथ्यात्मक घटना
http://www.sutapadevi.in/?p=1088

गोपिका विरह गीत
http://www.sutapadevi.in/?p=1144
ऋग्वेदोक्त विष्णुसूक्त
http://www.sutapadevi.in/?p=1150

ऐ मेरे वतन के लोगों-जरा आँख में भर लो पानी भाग-२
http://www.sutapadevi.in/?p=1246

No comments:

Post a Comment