Saturday 23 February 2019

भक्त प्रह्लाद

नृसिंहावतार एक तथ्यात्मक घटना, अंक~८

🙏#हम_आप_और_हमारे_आश्रित_सम्पूर्ण_कुटुम्ब_को_हम_नर्कों_के_द्वारों_पर_ढकेल_रहे_हैं!! 🍃

🍁#प्रळयरवि_कराळाकार_रुक्चक्रवालं_विरळय_दुरुरोची_रोचिताशांतराल।।

🍃#कथाप्रसेड़्गेषु_च_कृष्णमेव,
           #प्रोवाय_यस्मात्_स_हि_तत्स्वभावः।
🍁#इत्थं_शिशुत्वेऽपि_विचित्रकारी,
           #व्यवर्द्धतेशस्मरणामृताशः     ।।

🌺हाँ प्रिय!!नृसिंहपुराण(•४१•३४▪)का यह श्लोक है!!और आज के शिच्छा जगत् में इस श्लोक को यदि मैं अपने शिशुवों के हेतु कसौटी मान लूँ तो आमूल- चूल एक नयी क्रांति समाजमें संभव हो सकती है! समाज में एक नयी क्रांति की जन्म-दात्री हो सकती है!!मैं आपको एक भेदकी बात बात बताती हूँ--

🌹#माँ_और_बचपनकी_स्मृतियाँ_प्रथम_गुरू_होती_हैं हमारी,परम् भागवत् कयाधू और देवर्षि नारदजी के संस्कारोंसे बाल मनतो प्रभावित था ही प्रहेलादका!

🌺किंतु शास्त्रीय संस्कारोंके अंतर्गत भौतिकीय जीवन में नाम का अप्रतिम योगदान होता है!!इस हेतु ऋषियोंनें #नामकरण_संस्कार की व्यवस्था भी की है यजूर्वेद•५•३•७•३१•में कहते हैं कि-
🌺#आयुर्वर्चोऽभिवृध्दिश्च_सिद्धिर्व्यवह्रतेस्तथा।।
आयु और तेजकी वृद्धि सांसारिक व्यवहारों में --
👌🏻 #सम्बोधनात्मक_उद्घोष_से_होती_ही_है!! 🌹

🌹 हे प्रिय!!हमारे ऋषियों नें ध्वनि-विज्ञान -- (Phonetics) तथा मनो-विज्ञान (Psychology)के आधार पर ही नामकरण की व्यवस्था की है,इस संदर्भ में पाराशरीय गृहसूत्र•१▪१७•२४▪में कहते भी हैं कि--
🍃#द्वयक्षरं_चतुरक्षरं_वा_घोषवदाद्यन्तरमन्तःस्थं।
🍁#दीर्घाभिनिष्ठानं_कृतं_कुर्यान्न_तद्धितम्।।
🍁#अयुजाक्षरमाकारांतंस्त्रियै_तद्धितम्।
🍁#शर्मब्राम्हरणस्य_वर्म_क्षत्रियस्य_गुप्तेतिवैश्यशुद्रम्

🍁 बालकके नामके प्रारंभ में #घोष जैसे कि-ग,घ, ज, झ,ड,ढ,द,ध,न,प,ब,भ,म,य,र,ल,व तथा ह इनमें से किसी अक्षरका चयन करें!तथा अंतमें दीर्घ-स्वरोंके साथ कृदन्त रखने का प्राविधान है!!तथा यह प्रकट भी है कि सभी शिशु प्रारंभ में #माँ जैसे घोष वाक्यों से ही बोलना प्रारम्भ भी करते हैं!!  🍃

🍁हे प्रिय!!कन्याओं के नामों में कोमलता,स्नेह, माधूर्य, सौन्दर्य,समर्पणादि गुणयुक्त प्राकृतिक स्त्रैणता युक्त नाम ही रखने चाहिये,परिणामतः जन्मसे ही इन घोष-सम्बोधनों से हममें तद्नुरूप गुणों का प्राकट्य होने से स्त्रीत्व-जनित माधूर्य का स्वबोध होगा ही! #यथा_नाम_तथा_गुणस्य! 🌺

🌹अतः ऐसा शुभ नामकरण राम,कृष्ण,ध्रूव,प्रहेलाद बुद्ध,सीता,सावित्री,राधा आदि रखनेकी परम्परा रही है!!तदोपरांत ऋषियों नें अथर्व वेद•८•२•१८•के श्लोक के अनुसार सात्विकता का संञ्चार करने हेतु-
अन्न-प्राशन संस्कारकी व्यवस्था दी है--
🌹#शिवौ_ते_स्तां_ब्रीहीयवावबीलासावदो_मधौ।
🌺#एतौ_यक्ष्मं_विबाधेते_ऐतौ_मुञ्चतो_अहंसः।।

🙏 जब हमारी संतान ६~७ मासकी हो जाती हैं!! उनकी पाचन-शक्ति परिपक्व होने लगती हैं! तब उन्हें क्रमशः पौष्टिक,सुपाच्य,स्निग्ध तथा सात्विक अन्नों को देने का संस्कार है यह!!मैं आपको एक विचित्र बात बताती हूँ!!मैं बंगाली हूँ,हमारे जातिगत संस्कार ही माँसाहारी हैं!!किंतु मेरे विचार से यह बिल्कुल ही गलत तथा प्रक्षेपित् अशास्त्रीय अमान्य संस्कार हैं!! 🌻और उसका कारण भी है कि हमारे यहाँ भी अन्न- प्राशन संस्कारों में ही क्या किन्ही भी संस्कारों में प्रथम--
#शाक_स्पर्श_तदोपरांत_ही_मांस_स्पर्षका_विधान_है

🌻आज हम अपनी संतानों को पाश्चत्यांऽनुकरणके कारण ये जो Fast food.Junk food देने लगे! जन्म से ही सैक्रीन से बनी टाॅफियाँ खिलाने लगे, अभक्ष्याऽभक्ष्य का विचार किये बिना गौ-मांस मिश्रित Cadbarias खिलाने लगे!!उसका दुष्परिणाम उनकी आँत,आँख तथा दाँतोंके कमजोर होते हम देख ही रहे हैं!!🌻

🌺 हे प्रिय!!मेरा उद्रेश्य आहार की शुद्धता से कहीं ज्यादा उसके उपलब्ध्य-स्रोतों पर भी आपके ध्यानाकर्षण  की है!!अन्यायोपार्जित धनादि विशय भोगोंसे हम आप स्वयम् तथा अपनी संतानों को एक प्रकार से सुवर्ण-निर्मित स्रुवा से हलाहल विषपान ही करा रहे हैं!!हम,आप और हमारे आश्रित सम्पूर्ण कुटुम्बको हम नर्कोंके द्वारों पर ढकेल रहे हैं!! 🌹 

शेष अगले अंकमें प्रस्तुत करती हूँ!! #आपकी_सखी_सुतपा" ......✍

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